आदिवासी कल्याण समिति की स्थापना, झारखंड राज्य के कुछ मजबूत इरादों वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं ने की है।
यह किसी विशेष जाति या लोगों के विशिष्ट समूहों के लिए नहीं बनाया गया है , हालांकि यह सभी पारंपरिक व्यवसायों और जो कौशल, प्राचीन काल से अस्तित्व में हैं और आज की आधुनिक दुनिया में विलुप्त हो रहे हैं, उन सभी के उत्थान के लिए गठित हुआ है |
इस संस्थान को वर्ष 2012 में, सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के प्रावधानों के अनुसार पंजीकृत किया गया है। श्री सोनाराम कुम्हार, संस्थापक सह सचिव, भारतीय सेना में सूबेदार मेजर के मानद पद से सेवानिवृत्त हैं। यह एनजीओ अब भी स्थानीय जनजातीय आवासियों को सरकारी योजनाओं के अंतर्गत लाभ प्रदान करवाने में सक्रिय है।
आने वाले कल के परिपेक्ष्य में, गांवों से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मिट्टी के बर्तनों की कला को लेकर इनकी कई बड़ी योजनाएं हैं।
सर्वोदय एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ 'सार्वभौमिक उत्थान' या 'समावेशी प्रगति' होता है । इस शब्द का प्रयोग महात्मा गांधी ने राजनीतिक अर्थव्यवस्था पर जॉन रस्किन के 1908 के अपने अनुवाद के शीर्षक के रूप में किया था | अंत तक, गांधीजी ने अपने स्वयं के राजनीतिक दर्शन के आदर्श के लिए इस शब्द का उपयोग किया। बाद में भारतीय अहिंसावादी कार्यकर्ता विनोबा भावे जी जैसे गांधीवादियों ने स्वतंत्रता के बाद के भारत में सामाजिक आंदोलन के लिए इस शब्द को नाम स्वरुप अपनाया जिसे अंतर्गत वे यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत रहे कि आत्मनिर्णय और समानता, भारतीय समाज के सभी स्तरों तक पहुंच सके |
ग्रामीण विकास का अर्थ है, ग्रामीण क्षेत्रों का विकास इस तरह से हो कि ग्रामीण जीवन में सामाजिक, आर्थिक और तकनीकी घटक एक वांछित साकारात्मक दिशा में बदले और देश के शहरी क्षेत्र के विकास के लिए पूर्वाग्रह के बिना राष्ट्रीय लक्ष्यों और उद्देश्यों के ढांचे के भीतर भी रहे । गांवों में व्यवसाय लाने की हमारी योजना के साथ, हम ग्रामीण इलाकों के लिए रिवर्स माइग्रेशन, कौशल विकास और पुनः कौशल-समायोजन कार्यक्रम लाना सुनिश्चित करते हैं।
ग्रामीण विकास एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है क्योंकि अधिकांश भारतीय आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो ग्रामीण लोगों की क्षमता को निरंतर नियोजित करने की ओर ले जाती है ताकि इस तरह के नियंत्रण से होने वाले लाभों के व्यापक वितरण के साथ उनके पर्यावरण को नियंत्रित किया जा सके। अतः ग्रामीण विकास, ग्रामीण क्षेत्रों के विकास का ऐसा अर्थ है कि ग्रामीण जीवन के सामाजिक, आर्थिक और तकनीकी घटक एक वांछित दिशा में बदलते रहे और देश के शहरी क्षेत्र के विकास के राष्ट्रीय लक्ष्यों और उद्देश्यों के ढांचे के साथ साथ पक्षपात के बिना बने रहे । मृदा के साथ हम ग्रामीण क्षेत्रों के लिए रिवर्स माइग्रेशन, स्किल डेवलपमेंट और री-स्किलिंग प्रोग्राम लाना सुनिश्चित करते हैं।
आदिवासी कल्याण समिति में लगभग 200 कुम्हार, 40 बुनकर और 10 बांस कलाकार शामिल हैं। यह एनजीओ जनवरी 2012 में स्थापित किया गया है। इस एनजीओ के माध्यम से हम सरायकेला और खरसावा जिले के लोगों की मदद करेंगे। उन्हें सामाजिक उत्थान के लिए उचित कौशल प्रशिक्षण और विकास कार्यक्रम प्रदान करके। यह वहां के जीवन स्तर को सुधारने में भी उनकी मदद करेगा।
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